विडंबन - मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा हैं
गुलज़ार साहेबांची माफ़ी मागून त्यांच्या "मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा हैं " या कवितेचे विडंबन करतोय.. मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा हैं.. सॉफ़्टवेअर के कुछ डिवीडीज़ रखे हैं और एक ८ जीबी पेनड्राइव्ह पड़ा हैं वो पेनड्राइव्ह फ़ॉरमॅट कर दो.. मेरा वो सामान लौटा दो... ओ. एस. तुम्हारी, करप्ट होने की आहट.. सुनके मैनें बग्स हटायें थे.. ओ. एस. तुम्हारी अभीतक अच्छी चल रही हैं.. तुम ओ. एस. हटा दों...मेरा वो सामान लौटा दो..... एक अकेली किताब से जब आधे आधे पढ़ रहे थे.. आधे़ पढे़ आधे छोड़े.. मैं तो फ़ेल हो गया था.. तुम शायद पास हो गयी थी.. वो मार्क्स मुझे दे दो.. मेरा वो सामान लौटा दो..... एक सौ सोलह मुव्हीज के टॉरेंट्स.. एक तुम्हारे लॅप्पी का वॉलपेपर.. सॉफ़्टवेअर्स के लायसन्स कीज़.. तुम्हारे वॉर्डरोब के कपड़े कुछ.. ८००० रुपयों का पेट्रोल भी सब याद करा दूँ.. सब भिजवादो.. मेरा वो सामान लौटा दो..... एक इज़ाज़त दे दो बस.. जब इसको ले जाऊँगा.. नयी जी. एफ़ को दे दूँगा..