उपरांत
चंदन पर खिलेंगे पावक-मुकुल धरा और व्योम भावुक, व्याकुल दाह दमकेगा कोपल कोपल संध्या सुरभित सांद्र सोनल अस्वस्थ स्वर क्रंदन विमल जीवन चक्र सम्पूर्ण सुफल लौट जाएँगे मानुष विकल विदग्ध काष्ठ अचेत शीतल दीप्तिमान किन्तु समय का स्मृति-पटल अविरत... अटल. - संकेत