देव गंधार
तुम जब देव गंधार गाती हो संसारबंधनों में जकड़ जाती है फिर से यह विमुक्त आत्मा तुम्हारे नीरजनयनों के नीर से भीगे भावुक पल पुन: लौट आते हैं और तुम से दूर जाने का मेरा हर एक प्रयास तुम्हारे अधरों पर थम जाता है -संकेत
मनाची आंदोलने नोंदण्याचा हा एक छोटासा प्रयत्न !