मैं चला हूँ एक स्वर्ग के आवाहन में ...
मैं चला हूँ एक स्वर्ग के आवाहन में ...
चाहे सपने अधूरे छूटे ..
और आशाएँ दम तोड़ दें ..
या कदम मेरे तिलमिला उठें..
और धीरज साथ छोड़ दें..
उजालें भी ना मिले छल के गगन में...
मैं नहीं चाहता अप्सराओं का
मनहर सुन्दर नर्तन..
मैं नहीं चाहता गन्धर्वों का
दुर्लभ स्वर्गीय गायन..
और ना ही मेरी रूचि हैं अमृतपान में...
हृदयों का सम्मेलन हो,
जहाँ शुद्ध प्रेमभाव से..
आनंद का आन्दोलन हो,
जब एक मिलें दूजे जीव से..
चाहे बुद्धि - गर्वित मानवदेह देना पड़े बलिदान में ..
नयनो में प्रकाश भरा हो
दशदिशा उज्जवल कर दें ..
विश्वास हमारा खरा हो
मनुष्यता सार्थक कर दे ..
उत्साह की सरिता हर ह्रदय में और तन में ..
चन्द्रमा की शीतलता से..
आतंकित ना कोई यौवन हो..
सन्नाटों की परछाइयों से..
भयभीत ना कोई तन हो..
हे देव, दे दो स्वर्ग जो था बृन्दावन में...
माँ की लोरियों में..
जहाँ बच्चे सोते हैं..
एक नहीं हजार स्वर्ग
उस आँचल में होते हैं..
हे देव, दे दो स्वर्ग हर माँ के आँगन में..
धरती पर ही था कहीं
अब शायद खो गया हैं ..
या हैं शायद मन में ही
पर मनुष्य सो गया हैं ..
हे देव, जगा दो हमारा स्वर्ग हमारे मन में ..
मैं चला हूँ एक स्वर्ग के आवाहन में ...
-- बंगलूर, ०६ मई, २०११
चाहे सपने अधूरे छूटे ..
और आशाएँ दम तोड़ दें ..
या कदम मेरे तिलमिला उठें..
और धीरज साथ छोड़ दें..
उजालें भी ना मिले छल के गगन में...
मैं नहीं चाहता अप्सराओं का
मनहर सुन्दर नर्तन..
मैं नहीं चाहता गन्धर्वों का
दुर्लभ स्वर्गीय गायन..
और ना ही मेरी रूचि हैं अमृतपान में...
हृदयों का सम्मेलन हो,
जहाँ शुद्ध प्रेमभाव से..
आनंद का आन्दोलन हो,
जब एक मिलें दूजे जीव से..
चाहे बुद्धि - गर्वित मानवदेह देना पड़े बलिदान में ..
नयनो में प्रकाश भरा हो
दशदिशा उज्जवल कर दें ..
विश्वास हमारा खरा हो
मनुष्यता सार्थक कर दे ..
उत्साह की सरिता हर ह्रदय में और तन में ..
चन्द्रमा की शीतलता से..
आतंकित ना कोई यौवन हो..
सन्नाटों की परछाइयों से..
भयभीत ना कोई तन हो..
हे देव, दे दो स्वर्ग जो था बृन्दावन में...
माँ की लोरियों में..
जहाँ बच्चे सोते हैं..
एक नहीं हजार स्वर्ग
उस आँचल में होते हैं..
हे देव, दे दो स्वर्ग हर माँ के आँगन में..
धरती पर ही था कहीं
अब शायद खो गया हैं ..
या हैं शायद मन में ही
पर मनुष्य सो गया हैं ..
हे देव, जगा दो हमारा स्वर्ग हमारे मन में ..
मैं चला हूँ एक स्वर्ग के आवाहन में ...
-- बंगलूर, ०६ मई, २०११
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