त्रिवेणी -- क्र. ११ ते १४

त्रिवेणी  क्र. ११ >>

 
पौर्णिमेच्या रात्री आपण भेटलो चंद्राच्या साथीने, नक्षत्रांच्या सोबतीने,



नको जाऊ म्हणताच तू हसत म्हणालीस, "भेटूच रे १५ दिवसानंतर"


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१५ दिवसानंतर अमावास्या आली गं माझ्या जीवनात... :(
 
 
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त्रिवेणी  क्र. १२ >>
 
शांत चेहरा, मंद मिटलेल्या पापण्या..



रुंद कपाळावर लालेलाल टिकली..


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बंदुकीची एक गोळी, काम फत्ते..
 
 
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त्रिवेणी क्र. १३ >> 
आईवर चिक्कार कविता लिहिल्या गेल्यात..



विचार केला आपणही एक कविता लिहावी ...


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"आई " शब्द लिहिला, कविता पूर्ण झाली....
 
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त्रिवेणी क्र. १४  >>



तुझ्यावर मी कविता केली की तू जाम रागावतेस..



चिडतेस, म्हणतेस, "त्या कविता करणे आधी बंद कर "


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पण तू नजरेने रोज कविता करतेस त्याचे काय ?


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