ज़िन्दगी गाती हैं मर्सिया


सुर्ख होते सबेरे
जैसे जलते अँगारे
मायूसी की दीवारें
बिखर जाती हैं खुशियाँ
ज़िन्दगी गाती हैं मर्सिया


शब्दों की सिलवटें
नज़्मों की कराहटें
दिल-धड़कन झूटे झूटे
हैरत में हैं काफिया

ज़िन्दगी गाती हैं मर्सिया


सपनों का आँगन
मर गया यौवन
सुखा भादो सुखा सावन
बैसाख जैसे हैं सदियाँ

ज़िन्दगी गाती हैं मर्सिया
 

मैं जो हूँ तर-बतर
शबो-सहर,आठों पहर
अश्के-दिल या खूने-जिगर
अपनी अपनी हैं कहानियाँ
 

ज़िन्दगी गाती हैं मर्सिया
जिस्म के ताबूतों में
बेजान बुतों में
 
दिखावटी रुतों में
रूहों की हैं परछाइयां

ज़िन्दगी गाती हैं मर्सिया


उम्मीदों का मर्सिया
सपनों का मर्सिया
रिश्तों-नातों का मर्सिया
हर लम्हा हैं मर्सिया
ज़िन्दगी गाती हैं मर्सिया


टिप्पण्या

या ब्लॉगवरील लोकप्रिय पोस्ट

निबंध :-- माझे आवडते पक्वान : हलवा

'मर्ढेकरांची कविता' : बेकलाइटी नव्हे, अस्सल !

काही चारोळ्या - १

माउस पाहावे चोरून !

द ग्रीन फ़्लाय