नया मसीहा ना भेजियो
आज सुबह जब ख़बर आई की तिंबक्तू की अहमद बाबा इन्स्टिट्यूट को इस्लामी दहशतग़र्दों ने जला दिया हैं, तो मैं विकल हो उठा । इस संस्था में ३०,००० से अधिक सैकडों वर्ष पुरानी पांडुलिपीयाँ जतन कर रखी थी । और यह सब इस्लामी सुवर्णयुग की एक अनमोल धरोहर थी । क्या नहीं था इन में ? इस्लाम की बातें, कु’अरान की टिपणींयाँ, खगोल,रसायन, गणित की क़िताबे थी ! आक्रमनकारियों द्वारा किताबें जला देना कोई नई बात नहीं, सदियों से यह होता आया हैं । दुसरों की सभ्याता के प्रतिकों को, ज्ञान को नष्ट करनें का सबसे आसान तरिका यहीं होता हैं । भारत में भी हुआ हैं । अपने महान भारत में , जिसे हम ’सहिष्णू’ देश कहते हैं, यहाँ भी कट्टरपंथीयों ने लोकायत(चार्वाक)दर्शन के ग्रंथ नष्ट कर दिए, जो नास्तिकवाद या जड़वाद का दर्शन था । आज चार्वाकदर्शन केवल दुसरे दर्शनों के संदर्भ में मिलता हैं । लेकिन यह सब विरोधी विचारधाराओं को दबा देने के होता था । तिंबक्तू में ऐसा नहीं हुआ । इन्हें जलाया गया क्यूंकि कट्टरपंथीयों ने माना की ये ’ग़ैर-इस्लामी’ है ! अरे भई, जो ज्ञान इस्लामी विद्वानों ने इज़ाद किया था, जो इस्लाम के बारे में था, जिस में शायद...