राधा गुपचुप रोती हैं ..
सांय-सांय करती हवा,
सिसकियाँ किसकी सुनाती हैं ?
राधा गुपचुप रोती हैं...
सिसकियाँ किसकी सुनाती हैं ?
राधा गुपचुप रोती हैं...
रासलीला में कान्हा तुम मगन थे,
यमुना तट पे बहता पवन थे
ना जाते द्वारिका तो क्या होता ?
मनुष्य ही कहलाते तो क्या होता ?
शाखा पर बैठी कोयल ,
क्यूँ विषाद-गीत गाती हैं ?
राधा गुपचुप रोती हैं...
मन माखन , तन माखन,
नयनों से बहता द्रव भी माखन,
याद कुछ दिला दूँ तुम्हें
माखनचोर कहते हैं तुम्हें
" माखन चुरा लो माखनचोर ",
कौन यह विलाप करती हैं ?
राधा गुपचुप रोती हैं...
बंसी की धुनों में अब कौन बसता हैं ?
शरारतों से तुम्हारी अब कौन हँसता हैं ?
नटखट मुरलीमनोहर अब क्यूँ कहलाते हो ?
अपने सुरों की मोहिनी जो नही फैलाते हो
गायों की घंटियाँ उदास स्वरों में
किस बछड़े को बुलाती हैं ?
राधा गुपचुप रोती हैं...
फ़िके हो गये होली के रंग देखो
क्रिडा-रहित यमुनाजलतरंग देखो
राधा अब भी यमुना-तट आती हैं
श्याम वर्ण तुम्हारा आँखों में सजाती हैं
काजल सी काली कालिंदी,
किसके आँसू बहाती हैं ?
राधा गुपचुप रोती हैं...
प्रेम में भला क्यूँ
यह बिरह-बेला होती हैं ?
राधा गुपचुप रोती हैं ..
स्वामी..
उत्तर द्याहटवाअप्रतिम... मस्तच!! आवडली रे !! सहीच !:)
सुपरफ़ास्ट प्रतिक्रियेसाठी सुपरफ़ास्ट सुपरधन्यवाद !!!!!!!
उत्तर द्याहटवास्वामी....मस्तच...आवडली... :):)
उत्तर द्याहटवाधन्यु योगेश !!!!! :)
उत्तर द्याहटवालय भारी स्वामीजी... खूप आवडली
उत्तर द्याहटवासुझे.. आभार्स रे !!!! :)
उत्तर द्याहटवास्वामी, बहोत बढिया !!
उत्तर द्याहटवाधन्यवाद हेरम्बदा !!!! आपके आशीर्वाद हैं !!
उत्तर द्याहटवाछा गये तुस्सी स्वामीजी....!!
उत्तर द्याहटवाबहोत बढिया..!!
बहोत बहोत शुक्रिया सारिकाजी !! :)
उत्तर द्याहटवास्वाम्या, भिडलास रे काळजाला!!! :)
उत्तर द्याहटवास्वामी,एकदम मस्त. अप्रतिम.
उत्तर द्याहटवाआवडली.
अप्रतिम !!!!!
उत्तर द्याहटवाभिंतीवरल्या बाबा, खूप खूप आभार्स रे... तुझ्या काळजाला भिडली, कविता सफ़ल झाली म्हणायची..
उत्तर द्याहटवासपादादा, धन्यवाद !! :)
उत्तर द्याहटवाराजे, तुमचे प्रोत्साहन मला नेहमीच लक्षात राहिल... अगदी मनापासून आभारी आहे.. :)
उत्तर द्याहटवास्वामी,खुप सही झालीये कविता....आवडली....
उत्तर द्याहटवामस्त स्वामी... आवडेश...
उत्तर द्याहटवा